Himanta Biswa Sarma नॉर्थ-ईस्ट के मैकियावेली हिमंत बिस्वा सरमा की असम के 15 वें मुख्यमंत्री के रूप में नियुक्ति
- In Politics
- 07:48 PM, May 14, 2021
- Ankita Dutta
भाजपा के मजबूत नेता और पूर्वोत्तर में पार्टी के मुख्य संकटमोचक, हिमंत बिस्वा सरमा को सर्बानंद सोनोवाल की जगह असम के 15 वें मुख्यमंत्री के रूप में नियुक्त किया गया है। 2021 के असम विधानसभा चुनाव "दो सभ्यताओं के मध्य युद्ध" के आधार पर लड़े गए - एक उद्घोष जो चुनावप्रचार के दौरान स्वंय डॉक्टर हिमंत बिस्वा सरमा द्वारा दिया गया था। यह धीरे-धीरे एक शक्तिशाली नारा बन गया, जैसे जैसे कांग्रेस-एआईयूडीएफ गठबंधन की चुनावी संभावनाएं बराक घाटी की मुस्लिम बहुल सीटों, मध्य असम और निचले असम के कुछ जिलों में स्पष्ट होने लगीं।
इससे पहले, उनके असम सरकार के शिक्षा और वित्त मंत्री रहते हुए असम निरस्तन अधिनियम 2020, 30 दिसंबर, 2020 को पारित किया गया था जिसके तहत असम मदरसा शिक्षा (प्रांतीयकरण) अधिनियम, 1995 और असम मदरसा शिक्षा ( मदरसा शैक्षणिक संस्थानों की कर्मचारी और पुनः संगठन की सेवाओं का प्रांतीयकरण ) अधिनियम, 2018 को समाप्त किया गया। हिमंत बिस्वा सरमा ने विधानसभा में स्पष्ट रूप से सूचित किया था कि असम सरकार हर साल 260 करोड़ रुपये की भारी भरकम राशि सिर्फ मदरसों को चलाने के लिए खर्च कर रही थी, साथ ही उन्होंने यह भी कहा था कि "सरकार अब धार्मिक उपदेशों के लिए जनता का पैसा खर्च नहीं कर सकती है"।
डॉक्टर सरमा ने पिछली सरकार में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग भी संभाला था। COVID-19 महामारी के प्रबंधन में उनकी भूमिका ने उन्हें राष्ट्रीय मीडिया में भी प्रशंसा दिलवाई । असम के लोग अपने कुशल स्वास्थ्य मंत्री के प्रेस वार्ता संबोधन सुनने और महामारी से लड़ने के उपायों के नए दिशानिर्देशों की घोषणाओं की प्रतीक्षा में अपने टेलीविज़न स्क्रीन से चिपके रहते थे। महामारी के परिणामस्वरूप स्वास्थ्य प्रणाली में आने वाली नई चुनौतियों के समाधान के लिए उनके निरंतर और अथक प्रयासों के लिए उनकी तुलना संकटमोचन भगवान हनुमान जी से भी की गयी।
इस बार लोकप्रियता के मामले में, डॉक्टर हिमंत बिस्वा सरमा की पदयात्रा और जीवंत रोड शो बेहद सराहनीय थे। पृष्ठभूमि में चुनाव के दो सबसे प्रसिद्ध गीतों - "आहिसे आहिसे हिमोन्तो आहिसे आखारे बोतोरा लोई" (हिमंत उच्च आशाओं के साथ आ रहे हैं। ), तथा "आकू ईबार मोदी सरकार" (एक बार फिर मोदी सरकार) - के साथ ऊर्जावान डॉक्टर सरमा को उस क्षेत्र के आम लोगों के साथ इन गीतों के थिरकते संगीत और याद रह जाने लायक बोलों की धुनों पर नाचते देखा गया जहां वे चुनाव प्रचार करने गए थे। ये दोनों गीत उनकी चुनाव प्रचार की अवधि के दौरान लोकप्रियता के उच्च स्तर पर रहे और स्थानीय असमिया टीवी समाचार चैनलों ने अपने स्वयं के अनूठे तरीकों से इसमें खबरिया तड़का भी लगाया।
दिलचस्प बात यह है कि 2016 के असम विधानसभा चुनावों की पूर्व संध्या पर अभियान के मौसम को रोमांचक करने वाला गीत, " आखोमोरे आनन्दो होर्बानोंदो , इस बार कहीं भी नहीं सुना गया। जाने-माने असमिया गायक सिमांता शेखर द्वारा गाया गया "आकू ईबार मोदी सरकार" गीत 2019 के आम चुनावों में भाजपा के लिए एक लहर बनाने में सफल रहा था। इस बार के चुनावों में भी पार्टी के स्टार प्रचारक डॉक्टर हिमंत बिस्वा सरमा द्वारा इस गीत का भाजपा को फिर से जीत दिलाने की उम्मीद में असम भर में कई चुनावी रैलियों में अपनी विशिष्ट शैली में उपयोग करते देखा गया। निस्संदेह, चुनाव प्रचार के दौरान वह पार्टी के सबसे मुखर और जाने माने चेहरे थे।
सरमा के लोगों के साथ किए गए आत्मीय वार्तलाप ने , जोकि जाति, समुदाय, धर्म आदि के सभी अवरोधों से ऊपर था, ने रचनात्मक मीम निर्माताओं को लोकप्रिय संगीत और राजनीति के बीच के संवाद के विभिन्न आयामों पर प्रयोग करने के लिए सामग्री प्रदान की। जैसे चुनाव के शुरुआती चरण के दौरान "मामा" मीम (हिमंत बिस्वा सरमा को असम में प्यार से "मामा" बुलाया जाता है) लगभग सभी सोशल मीडिया प्लेटफार्मों में संक्रमण की तरह फैला। असम की राजनीति में डॉक्टर हिमंत बिस्वा सरमा की अभूतपूर्व लोकप्रियता और एक बेहद कमजोर विपक्ष ने मिलकर अंततः भाजपा को राज्य में सत्ता बनाए रखने में मदद की।
हिमंत बिस्वा सरमा असम विधानसभा के जालुकबाड़ी से निर्वाचित हुए हैं जोकि 2001 से ही उनका एक गढ़ रहा है। वह लगातार चार बार, तीन बार कांग्रेस के उम्मीदवार के रूप में और 2016 में भाजपा के उम्मीदवार के रूप में, यहाँ से चुनाव जीते हैं। इस बार जालुकबाड़ी में एक रोचक बात यह थी कि चुनाव प्रचार के दौरान हिमंत बिस्वा सरमा की बहुत ही कम उपस्थिति के बावजूद, सरमा की एक मजबूत लहर पहले से ही निर्वाचन क्षेत्र में बह रही थी। पूरे जालुकबाड़ी निर्वाचन क्षेत्र में अपने अभूतपूर्व काम के माध्यम से, जोकि साक्षर मतदाताओं की अच्छी खासी जनसँख्या के लिए जाना जाता है, सरमा मतदाताओं के सभी वर्गों का एक मजबूत समर्थन आधार स्थापित करने में सक्षम रहे। हालांकि वाम और कांग्रेस पार्टी दोनों के पास निर्वाचन क्षेत्र में कुछ तयशुदा समर्थक हैं, लेकिन सरमा के मतदाता-आधार में हेरफेर करना संभव नहीं था , जो उन्होंने पिछले 20 वर्षों से पोषित किया है।
डॉक्टर हिमंत बिस्वा सरमा पूर्व सीएम सर्बानंद सोनोवाल के उत्तराधिकारी बने हैं, जो 2011 में भाजपा में शामिल होने से पूर्व असम गण परिषद् के नेता थे। सोनोवाल को शायद असम के राजनीतिक क्षेत्र में उनके सबसे लंबे समय तक टिकने वाले नारों में से एक के लिए याद किया जाएगा, जोकि "बराक-ब्रह्मपुत्र, पहार- भोईम" (अर्थ, बराक और ब्रह्मपुरा घाटियाँ, पहाड़ियाँ और मैदान) है। इसे असम के 2016 के विधानसभा चुनावों की पूर्व संध्या पर सोनोवाल द्वारा खुद गढ़ा गया था। इस उद्घोष को बहुतेरे लोगों ने एक रूढ़ोक्ति करार दे दिया था और इसे अल्पकालिक माना था। लेकिन, यह एकजुटता का नारा पूरे पांच साल स्वयं को प्रासंगिक बना के रख पाया, क्योंकि सोनोवाल ने इसे पूरे असम में लगभग हर सार्वजनिक बैठक में कहा। इस नारे के स्वर ने अपनी तीव्रता नहीं खोई और धीरे-धीरे असम जैसे राज्य की भू-राजनीतिक स्थिति में अपनी प्रासंगिकता और स्थिरता साबित किया। निवर्तमान मुख्यमंत्री डॉक्टर हिमंत बिस्वा सरमा ने भी बारम्बार इसके महत्व पर जोर दिया है ।
असम में एक लोकप्रिय धारणा है कि दिसपुर में सत्ता की बागडोर हमेशा ऊपरी असम से नियंत्रित की जाती रही है क्योंकि असम के अधिकांश पूर्व मुख्यमंत्री ऊपरी असम से ही रहे हैं। डॉक्टर सरमा, सरतचन्द्र सिन्हा, जिन्होंने 1977 में इस्तीफा दे दिया था, के बाद निचले असम से आने वाले पहले पूर्णकालिक मुख्यमंत्री बन गए हैं। 1977 के बाद से सदैव ऊपरी असम ही दिसपुर में सत्तावाहक रहा है। यह प्रवाह गोलाप बोरबोरा से शुरू होकर सर्बानंद सोनोवाल तक जाता है । ऐसा लगता है कि शक्ति का संतुलन आधी सदी तक ऊपरी असम के नियंत्रण और प्रभाव में रहने के बाद निचले असम में लौट आया है। डॉक्टर सरमा कांग्रेस के एक प्रभावी पूर्व नेता रहे हैं, और असम के राजनीतिक शीर्ष पद पर उनकी नियुक्ति भारत की ग्रैंड ओल्ड पार्टी को अपने दलीय तंत्र में महत्वाकांक्षी जन नेताओं को पोषित करने की कला को याद दिलाने के लिए पर्याप्त है। वो नेता जो बेहतर अवसरों की खोज में पार्टी को छोड़कर अन्यत्र जा रहे हैं और सफल भी हो रहे हैं।
Image Source: The Sentinel Assam
Disclaimer: The opinions expressed within this article are the personal opinions of the author. MyIndMakers is not responsible for the accuracy, completeness, suitability, or validity of any information on this article. All information is provided on an as-is basis. The information, facts or opinions appearing in the article do not reflect the views of MyindMakers and it does not assume any responsibility or liability for the same.
Comments